Sunday 30 December 2012
मिथिला प्रदेश का अंग : समस्तीपुर
समस्तीपुर राजा जनक के मिथिला प्रदेश का अंग रहा है। विदेह राज का अंत होने पर यह वैशाली गणराज्य का अंग बना। इसके पश्चात यह मगध के मौर्य, शुंग, कण्व और गुप्त शासकों के महान साम्राज्य का हिस्सा रहा। ह्वेनसांग के विवरणों से यह पता चलता है कि यह प्रदेश हर्षवर्धन के साम्राज्य के अंतर्गत था। 13 वीं सदी में पश्चिम बंगाल के मुसलमान शासक हाजी शम्सुद्दीन इलियास के समय मिथिला एवं तिरहुत क्षेत्रों का बँटवारा हो गया। उत्तरी भाग सुगौना के ओईनवार राजा के कब्जे में था जबकि दक्षिणी एवं पश्चिमी भाग शम्सुद्दीन इलियास के अधीन रहा। समस्तीपुर का नाम भी हाजी शम्सुद्दीन के नाम पर पड़ा है। शायद हिंदू और मुसलमान शासकों के बीच बँटा होने के कारण ही आज समस्तीपुर का सांप्रदायिक चरित्र समरसतापूर्ण है। ओईनवार राजाओं को कलाए संस्कृति और साहित्य का बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। शिवसिंह के पिता देवसिंह ने लहेरियासराय के पास देवकुली की स्थापना की थी। शिवसिंह के बाद यहाँ पद्मसिंह, हरिसिंह, नरसिंहदेव, धीरसिंह, भैरवसिंह, रामभद्र, लक्ष्मीनाथ, कामसनारायण राजा हुए। शिवसिंह तथा भैरवसिंह द्वारा जारी किए गए सोने एवं चाँदी के सिक्के यहाँ के इतिहास ज्ञान का अच्छा स्त्रोत है। अंग्रेजी राज कायम होने पर सन 1865 में तिरहुत मंडल के अधीन समस्तीपुर अनुमंडल बनाया गया। बिहार राज्य जिला पुनर्गठन आयोग के रिपोर्ट के आधार पर इसे दरभंगा प्रमंडल के अंतर्गत 14 नवम्बर 1972 को जिला बना दिया गया। अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध हुए स्वतंत्रता आंदोलन में समस्तीपुर के क्रांतिकारियों ने महती भूमिका निभायी थी। यहाँ के कर्पूरी ठाकुर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं।
विद्यापतिनगर, मालीनगर, मंगलगढ़, जगेश्वर स्थान, पूसा, मुसरीघरारी, हसनपुर मार्ग और थानेश्वर मंदिर आदि यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से है। इस जिले का संबंध प्रसिद्ध मैथिली कवि विद्यापति और प्रसिद्ध उपन्यासकार देवकी नन्दन खत्री से रहा है। यह जिला बागमती नदी के उत्तर, वैशाली और मुजफ्फरपुर जिले के कुछ भाग के पश्चिम, गंगा नदी के दक्षिण और बेगुसराय तथा खगरिया जिले के कुछ हिस्से के पूर्व से घिरा हुआ है। इसका जिला मुख्यालय समस्तीपुर शहर है।
पर्यटन स्थल
विद्यापतिनगर
शिव के अनन्य भक्त एवं महान मैथिल कवि विद्यापति ने यहाँ गंगा तट पर अपने जीवन के अंतिम दिन बिताए थे। ऐसी मान्यता है कि अपनी बीमारी के कारण विद्यापति जब गंगातट जाने में असमर्थ थे तो गंगा ने अपनी धारा बदल ली और उनके आश्रम के पास से बहने लगी। वह आश्रम लोगों की श्रद्धा का केंद्र है।
करियन
महामहिषी कुमारिलभट्ट के शिष्य महान दार्शनिक उदयनाचार्य का जन्म 984 ईस्वी में शिवाजीनगर प्रखंड के करियन गाँव में हुआ था। उदयनाचार्य ने न्याय, दर्शन एवं तर्क के क्षेत्र में लक्षमणमाला, यायकुशमांजिली, आत्मतत्वविवेक, किरणावली आदि पुस्तकें लिखी जिनपर अनगिनत संस्थानों में शोध चल रहा है। दुर्भाग्य से यह महत्वपूर्ण स्थल सरकार की उपेक्षा का शिकार है।
मालीनगर
यहाँ 1844 में बना शिवमंदिर है जहाँ प्रत्येक वर्ष रामनवमी को मेला लगता है। मालीनगर हिंदी साहित्य के महान साहित्यकार बाबू देवकी नन्दन खत्री एवं शिक्षाविद राम सूरत ठाकुर की जन्म स्थली भी है।
मंगलगढ
यह स्थान हसनपुर से 14 किलोमीटर दूर है जहाँ प्राचीन किले का अवशेष है। यहाँ के स्थानीय शासक मंगलदेव के निमंत्रण पर महात्मा बुद्ध संघ प्रचार के लिए आए थे। उन्होंने यहाँ रात्रि विश्राम भी किया था। जिस स्थान पर बुद्ध ने अपना उपदेश दिया था वह बुद्धपुरा कहलाता था जो अब अपभ्रंश होकर दूधपुरा हो गया है।
जगेश्वरस्थान (बिभूतिपुर)
नरहन रेलवे स्टेशन से 15 किलोमीटर की दूरी पर बिभूतिपुर में जगेश्वरीदेवी का बनवाया शिव मंदिर है। अंग्रेजों के समय का नरहन एक रजवाड़ा था जिसका भव्य महल बिभूतिपुर में मौजूद है। जगेश्वरी देवी नरहन स्टेट के वैद्य भाव मिश्र की बेटी थी।
मोरवा अंचल में कुंदनेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना एक मुस्लिम द्वारा यहाँ शिवलिंग मिलने पर की गयी थी। मंदिर के साथ ही महिला मुस्लिम संत की मजार हिंदू और मुस्लिम द्वारा एक साथ पूजित है
मुसरीघरारी
राष्ट्रीय राजमार्ग 28 पर स्थित यह एक कस्बा है जहाँ का मुहरर्म तथा दुर्गा पूजा का भव्य आयोजन होता है।
संत दरियासाहेब का आश्रम
बिहार के सूफी संत दरिया साहेब का आश्रम जिले के दक्षिणी सीमा पर गंगा तट पर बसा गाँव धमौन में बना है। यहाँ निरंजन स्वामी का मंदिर भी है। थानेश्वर शिवमंदिर, खाटू-श्याम मंदिर एवं कालीपीठ समस्तीपुर जिला मुख्यालय का महत्वपूर्ण पूजा स्थल है।
यातायात सुविधाएँ
सड़क मार्ग
समस्तीपुर बिहार के सभी मुख्य शहरों से राजमार्गों द्वारा जुड़ा हुआ है। यहाँ से वर्तमान में दो राष्ट्रीय राजमार्ग तथा तीन राजकीय राजमार्ग गुजरते हैं। मुजफ्फरपुर, मोतिहारी होते हुए लखनऊ तक जानेवाली राष्ट्रीय राजमार्ग 28 है। राष्ट्रीय राजमार्ग 103 जिले को चकलालशाही, जन्दाहा, चकसिकन्दर होते हुए वैशाली जिले के मुख्यालय हाजीपुर से जोड़ता है। हाजीपुर से राष्ट्रीय राजमार्ग 19 पर महात्मा गाँधी सेतु पारकर राजधानी पटना जाया जाता है। जिले में राजकीय राजमार्ग संख्या 49ए 50 तथा 55 की कुल लंबाई 87 किलोमीटर है।
रेल मार्ग
समस्तीपुर भारतीय रेल के नक्शे का एक महत्वपूर्ण जंक्शन है। यह पूर्व मध्य रेलवे का एक मंडल है। दिल्ली-गुवाहाटी रूट पर स्थित रेललाईनें एक ओर शहर को मुजफ्फरपुर,हाजीपुर, छपड़ा होते हुए दिल्ली से और दूसरी ओर बरौनी, कटिहार होते हुए गुवाहाटी से जोड़ती है। इसके अतिरिक्त यहाँ से मुम्बई, चेन्नई, कोलकाता, अहमदाबाद, जम्मू, अमृतसर, गुवाहाटी तथा अन्य महत्वपूर्ण शहरों के लिए सीधी ट्रेनें उपलब्ध है।
वायु मार्ग:
समस्तीपुर का निकटस्थ हवाई अड्डा 65 किलोमीटर दूर पटना में स्थित है। लोकनायक जयप्रकाश हवाई क्षेत्र पटना से अंतर्देशीय तथा सीमित अन्तर्राष्ट्रीय उड़ाने उपलब्ध है। इंडियन, किंगफिशर, जेट एयर, स्पाइस जेट तथा इंडिगो की उड़ानें दिल्ली, कोलकाता और राँची के लिए उपलब्ध हैं।
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