Tuesday 11 December 2012

झारखंड : प्रकृति के सौंदर्य का खजाना

झारखंड पर प्रकृति ने अपने सौंदर्य को खुलकर लुटाया है। प्राकृतिक सुन्दरता के अलावा झारखण्ड ने अपने खूबसूरत पर्यटक स्थलों के दम पर विश्व के पर्यटक मानचित्र पर अपनी अलग पहचान बनाई है।  यहां के झरने और पर्यटक स्थल मिलकर झारखण्ड को पर्यटन का स्वर्ग बनाते हैं और पर्यटक शानदार छुट्टियां बिताने के लिए हर वर्ष यहां आते हैं। झारखंड हमारे देश के उन राज्यों में आता है जहां आप अभी भी प्राकृतिक सुषमा का वास्तविक आनंद ले सकते हैं। जंगल, पहाड़, घाटी, जलप्रपात, वन्य प्राणी, संस्कृति में धनी एवं मनमोहक राज्य  हमेशा पयर्टकों के स्वागत में सदैव तत्पर है और धरती पर स्वर्ग का एक हिस्से के रूप में खड़ा है। छोटानागपुर क्षेत्र के घने जंगल, खूबसूरत वादियां, पहाडिय़ां व जलप्रपात पर्यटकों को नाटकीय दबाव से दूर उनमुक्त प्राकृतिक वातावरण उपलब्ध कराते हैं। झारखंड के मुख्य पर्यटन स्थल रांची, जमशेदपुर, देवघर, हजारीबाग, गिरिडीह, साहेबगंज व धनबाद में स्थित है। सम्पूर्ण भारत में झारखण्ड ही एक ऐसा राज्य है जहां पर आप आदिवासियों की प्राचीन संस्कृति से लेकर आधुनिक भारतीय संस्कृति का स्वरूप देख सकते हैं। झारखंड का प्राकृतिक सौन्दर्य व संस्कृति देश.विदेश के सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
प्राकृतिक सुंदर नजारों के साथ-साथ पुरानी गुफाएं, ऊंची पहाडिय़ां और हवा के संग-संग बहती नदियां आपको अपनी तरफ  बरबस ही खींच लेंगी। झारखण्ड को कुदरत ने प्राकृतिक सौंदर्य तोहफे में पेश किया है। तभी तो यह एक ही नजर में सभी को लुभा लेता है। यहां की वादियां, घनघोर जंगल, मस्त पवन और बलखाती नदियां, पुरानी गुफाएं और मन में श्रद्धा जगाते अद्भुत मंदिर आपके दिलो-दिमाग पर इस कदर छाएंगे कि झारखण्ड की यह छवि आपकी आंखों में हमेशा के लिए बस जाएगी और आप बार-बार इस प्रदेश में घूमने के बारे में सोचेंगे। यहां ज्यादा नदियां और गुफाएं नहीं हैं, लेकिन जितनी भी हैं, वे लगातार पर्यटकों के आकर्षण केंद्र बनी रहती हैं। रंग-बिरंगे मेले और त्योहारों का अलग ही मजा है।
प्राकृतिक व कृत्रिम सुंदरता के लिए प्रसिद्ध राजधानी रांची
झारखंड की राजधानी रांची समुद्र तट से 2140 फीट की ऊंचाई पर अपनी प्राकृतिक व कृत्रिम सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यहां स्थित मुख्य पर्यटन स्थल टैगोर हिल, रॉक गार्डन, वार सिमेट्री, नक्षत्र वन, मैक्लुस्कीगंज, पंचघाघ, हिरणी फॉल सूर्य मंदिर, आंगनबाड़ी व जैविक उद्यान प्रमुख हैं। रांची से 40 किमी दूर पर रांची-टाटा मार्ग पर कांची नदी द्वारा प्राकृतिक रूप से निर्मित दसम फॉल जो कि 144 फीट की ऊंचाई से गिरता है रोमांचकारी अनुभव का आभास कराता है, इसके अलावा स्वर्णरेखा नदी द्वारा उद्गमित हुण्डरु फॉल अपनी 320 फीट की ऊंचाई से प्राकृतिक प्रतिस्पर्धा का निमंत्रण देता प्रतीत होता है, इसके अलावा जोन्हा फॉल व पंचघाघ फॉल भी आपको रोमांचित करने के लिए तत्पर हैं। रांची से लगभग 39 किमी की दूरी पर टाटा मार्ग पर बुंडू के निकट दर्शनीय सूर्य मंदिर है। इस मंदिर में एक विशाल रथ, अप्रतिम सौंदर्य से सुसज्जित पहियों व सात घोड़ों के साथ ऐतिहासिक वास्तुकला का बेहतरीन साक्ष्य है।
पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र : स्टील सिटी जमशेदपुर
 झारखंड के औद्योगिक शहर के रूप में जमशेदपुर विश्वविख्यात है। पर्यटकों को टाटा स्टील कारखाना के अलावा जुबली पार्क, सर दोराबजी टाटा पार्क, डिमना लेक व डैमए दोमुहानी, टाटा स्टील ज्यूलॉजिकल पार्क, जुबली पार्क 225 एकड़ में स्थित है जिसे टाटा स्टील ने जमशेदपुर वासियों को उपहार स्वरूप भेट किया है। यहां स्थित डिमना झील शहर से लगभग 13 किलो मीटर दूर स्थित है, जो पिकनिक एवं बोटिंग के लिए लोगों को सहज ही अपनी तरफ आकर्षित करती है। जमशेदपुर में टाटा ने चिडिय़ां घर भी बनवाया है, जहां आप जानवरों के प्रत्येक प्रजातियों का अवलोकन कर सकते हैं जमशेदपुर से ही कुछ दूरी पर दलमा वन्यप्राणी शरणस्थली, घाटशीला, फुलदुंगरी, बुरूडीह लेक एवं दारागिरी जलप्रपात पर्यटकों का आकर्षण केंद्र हैं।
बाबा की नगरी देवघर
झारखंड का महाकुंभ कहा जाने वाला देवघर भारत में हिंदुओं की एक पवित्र नगरी के रूप में प्रसिद्ध है। प्रति वर्ष यहां लगने वाला श्रावणी मेला विश्र्व प्रसिद्ध है। धर्म और देवताओं के शहर देवघर को बाबा वैद्यनाथ की नगरी भी कहा जाता है। 12 ज्योतिर्लिगों में से एक यहां प्रसिद्ध बाबा वैद्यनाथ का ऐतिहासिक ज्योतिर्लिग है, जिसमें प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। प्रति वर्ष श्रावण मास में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु कम से कम 110 किमी की पैदल यात्रा कर बाबा वैद्यनाथ को जल अर्पण करते हैं। कांवरि, जन बिहार प्रांत के सुलतानगंज स्थिथ उत्तरवाहिनी सुरनदी गंगा का जल लेकर बाबा वैद्यनाथ का जलाभिषेक करते हैं। इस पवित्र नगरी के आसपास हजारों धार्मिक महत्व के नजारे देखने को मिलते हैं। पर्यटक विशेष रूप से यहां सत्संग आश्रम, त्रिकुटी, नौलखा मंदिर का भ्रमण करते है।
हजार उद्यानों का शहर हजारीबाग
समुद्री तट से 2019 फीट की ऊंचाई पर स्थित हजार उद्यानों का शहर के रूप में जाना जाने वाला हजारीबाग एक प्रचलित हेल्थ रिसोर्ट है। यहां प्रमुख पर्यटन स्थल वन्यप्राणी शरणस्थली, कनहरी हिल, हजारीबाग लेकए तिलैया डैम, उर्वण टूरिस्ट कांपलेक्स, रजरप्पा, कोणार डैम, सूरज कुंड प्रमुख है। रांची से लगभग 80 किमी की दूरी पर रामगढ़-चितरपुर मार्ग पर स्थित रजरप्पा जहां बेहरा नदी, दामोदर नदी से मिलती है जहां मां छिन्नमस्तिके का मंदिर अवस्थित है। ईटखोरी में हरे-भरे जंगलों से घिरा हुआ मां भद्रकाली का यह प्रसिद्ध मंदिर भदूली नदी के किनारे सुरम्य वातावरण में है जो कि धर्मावलंबियों की आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र हैं।
गिरीडीह
यहां जैन धर्म के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक पवित्र हिल पारसनाथ राजधानी रांची से 190 किमी की दूरी पर स्थित है। 24 तीर्थकरों में से 23 तीर्थकरों को इसी स्थान पर मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इसके अलावे बैद्याडीह, डालगंडो, झारखंडी डैम, खंडोली, हरिहर डैम एवं उसरी फाल यहां स्थित महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है।
झारखंड की रानी नेतरहाट
 घने वनों से ढका हुआ है। यह एक सुन्दर पहाड़ी स्थल है, जिसे 'क्वीन ऑफ छोटानागपुरÓ के नाम से भी जाना जाता हैं। इस स्थान से कर्क रेखा भी गुजरती है। नेतरहाट वस्तुत: पठार पर स्थित है। नेतरहाट को झारखण्ड की मसूरी के नाम से भी जाना जाता है। नेतरहाट में अप्रतिम प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा पड़ा है। यहां का सूर्योदय देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। यहां पर आपको घने जंगलों, उच्चे पर्वत शिखर घुमावदार सड़कों, झरनों, ठंडी हवाओं का अद्भुत संगम दिखाई देता है। यहां की चांदनी रात पर्यटकों को बहुत लुभाती है। मंगोलिया प्वाइंट जो नेतरहाट से सिर्फ  दस किमी दूर है आप यहां आकर डूबते हुए सूरज का नजारा देख सकते हैं, जो अवर्णनीय है। यहां के अपर गंगोत्री एवं लोअर गंगोत्री नामक झरना अपनी सुंदरता के लिए विख्यात है। व्यू प्वाइंट से आप कोयल नदी का विहंगम दृश्य भी देख सकते हैं।
खूबसूरत हिल स्टेशन : साहेबगंज
झारखंड की राजधानी रांची से सबसे अधिक दूरी पर स्थित साहेबगंज खूबसूरत हिल और जंगल के अलावे अपने सुंदर लैंडस्केप व जीवाश्म पार्क के कारण प्रसिद्ध है। तीर्थयात्रियों के लिए साहेबगंज के नजदीकी स्थानों पर अनेक मंदिर स्थित है। शिव मंदिर, विन्धवाशिनी मंदिर, शुक्रवाशिनी मंदिर विशेष आकर्षण केंद्र हैं। कन्हैयास्थान पर श्री श्री चैतन्य महाप्रभु के पदचिन्ह सुरक्षित है। साहेबगंज स्थित उधवा लेक न केवल अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए बल्कि विभिन्न प्रजातियों के पक्षीयों के प्रवास के कारण भी प्रसिद्ध है। प्रवासी पक्षी काफी संख्या में प्रतिवर्ष यहां आते हैं। प्राचीन शहर राजमहल 12वीं सदी में अकबर के शासन के दौरान बनाया गया था। यहां स्थित जामी मस्जीद और बड़ा दरवाजा राजमहल के सुनहरे भूतकाल को प्रदर्शित करता है। शिव मंदिर, कन्हैया धाम, शिवगढ़ी, महाराजपूर और संगी दलान यहां के अन्य पर्यटन स्थल है। अपनी यात्रा के दौरान एक कार आरक्षित करवा कर राजमहल का आनंदपूर्वक भ्रमण किया जा सकता है।
काले हीरे का शहर धनबाद
भारत की सबसे बड़ी कोलफील्ड्स के साथ.साथ धनबाद झारखंड की प्रमुख औद्योगिक शहर के रूप में जाना जाता है। मां दुर्गा को समर्पित प्रसिद्ध शक्ति मंदिर धनबाद के ह्दय स्थल पर स्थित है। मैथन धाम, सिंदरीए इंडियन स्कूल आंफ माइंस, तोपचांची झील, पंचेत डैम एवं बोकारो स्टील सिटी यहां पर प्रमुख पर्यटन स्थल है।
बेतला राष्ट्रीय पार्क
1974 में स्थापित भारत के सबसे पुराने व विहंगम टाईगर रिजर्व में से एक बेतला राष्ट्रीय पार्क है जिसे पूर्व में पलामू टाईगर रिजर्व के नाम से जाना जाता था। बेतला राष्ट्रीय पार्क में आकर पर्यटक वन्य जीवों की दुर्लभ प्रजातियों से उन्मुख होते हैं। यहां बाघ, चीता, हाथी, गौर, सांभर, चितल, हिरण, नीलगाय, जंगली कुत्ता, लोमड़ी के कई प्रजाति देखने को मिलते हैं।

हजारीबाग वन्यप्राणि शरणस्थली
हजारीबाग आकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे प्रकृति ने अपना सब कुछ इस क्षेत्र में ही समेट दिया है चाहे वो हरे-भरे घने जंगल हों, झरने सभी उल्लेखनीय सौन्दर्यं के प्रतीक हैं। यहां के वन प्राणियों में सांभर, हाथी, गौर, सांभर, चितल, हिरण, नीलगाय, जंगली कुत्ता, लोमड़ी की कई प्रजातियों देखने को मिलती हैं। इसके अलावे कोडरमा वन्यप्राणी शरणस्थली, पारसनाथ वन्यप्रणी शरणस्थली, पालकोट वन्यप्राणी शरणस्थली, उधवा झील पक्षी शरणस्थली, पलामू बाघ संरक्षणए सिंहभूम हाथी संरक्षण, भगवान बिरसा जैविक उद्यान, बिरसा कृग विहार, घडियाल प्रजनन केन्द्र प्रमुख हैं।
साहसिक पर्यटन
साहसिक पर्यटन के लिए भी झारखण्ड उत्तम स्थान है। पारसनाथ और सातपहाड़ हिल पाराग्लाइडींग और परासेलिंग के लिए प्रसिद्ध है।
रांची के रॉक-गार्डन, बिरसा जैविक उद्यान, तारामंडल, पहाड़ी मंदिर, जगरनाथ मंदिर, नक्षत्र वन, मछली घर, रांची विश्वविद्यालय के मानव म्यूजियम, खेलगांव स्थित म्यूजियम, रातू स्थित फन कैसल, ओरमांझी स्थित मगर प्रजनन केन्द्र, खूंटी स्थित मृग विहार केन्द्र, गुमला स्थित अंजना धाम, सिमडेगा के रामरेखा धाम, खूंटी जिले के हिरणी फॉल, चाईबासा जिले के महादेवालय, रामगढ़ जिले के रजरप्पा मंदिर, देवघर के बाबा बैजनाथ धाम, चतरा जिले के इटखोरी के मां भद्रकाली का मंदिर, कल्लुआ पहाड़, तमासीन फॉल सहित कई पर्यटन व दर्शनीय स्थल हैं, जिन्हें विकास कर पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है।

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