Saturday 5 January 2013

धान का कटोरा रोहतास

रोहतास अत्यंत ही मनोरम और रमणीक स्थल के लिए विख्यात है। धान के कटोरे के रूप में बिहार के मानचित्र पर रोतहास की पहचान है। इसका जिला मुख्यालय सासाराम है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह स्थान काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। मगध, अफगान, शेर शाह और कई अन्य शासकों ने इस जगह पर शासन किया था। पहले रोहतास शाहबाद जिले का एक हिस्सा था। लेकिन 1972 ई. में इस जिले को स्वतंत्र रूप से जिले के रूप में पहचान मिली। रोहतास का इतिहास पर्यटकों को काफी आकर्षित करता है। यहां आकर आपको लगेगा कि आप यही के हो जाए। रोहतास भोजपुर और बक्सर जिला के उत्तर, पलामू और गरवा जिले के दक्षिण, गया जिले के पूर्व तथा कैमूर जिले के पश्चिम से घिरा हुआ है।

क्या देखें
रोहतास गढ़
 जिला मुख्यालय के पश्चिम से ५ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दंतकथाओं के अनुसार, इस जगह का नाम राजा हरिशचन्द्र के पुत्र रोहितासव के नाम पर रखा लिखा गया था। रोहितासव ने यहां पर एक किले का निर्माण करवाया था। यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि रोहतास का अर्थ शुष्क भूमि होता है। रोहतास में एक विशाल किला है। शेरशाह ने रोहतासव के किले को 1538 ई. में कब्जाया था। यह अकबरपुर का जिला मुख्यालय है। यहां पर मोहम्मदन संत शेख शाह बाबल की मजार भी है। रोहतास किले के उत्तर से एक किलोमीटर की दूरी पर बावन तालाब है। यह काफी प्राचीन मंदिरों में से है। पुराने समय में इस गांव के चारों ओर 52 कुंड थे। लेकिन वर्तमान समय में इस प्रकार का कोई तथ्य नहीं मिलता है। यहां पर एक प्राचीन शिव मंदिर भी है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण राजा हरिश्चन्द्र ने करवाया था। इस मंदिर को चौरासन मंदिर के नाम से जाना जाता है। सासाराम सासाराम रोहतास जिले का मुख्यालय है। सासाराम ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। शहर के समीप ही कई स्मारक है। यहीं पर स्थित है शेरशाह का मकबरा जो काफी प्रसिद्ध है। यह मकबरा पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। मकबरे पर हुई वास्तुकला काफी खूबसूरत है जो काफी संख्या में पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींचती है। इसके देखने के लिए देश-विदेश के हजारों पर्यटक आते हैं। इस मकबरे का निर्माण शेर शाह ने सोलहवीं शताब्दी के मध्य में करवाया था। पत्थरों से बना यह मकबरा विशाल कुंड के मध्य स्थित भारत का दूसरा ऊंचा मकबरा है। इस मकबरे को सूखा रोजा के नाम से भी जाना जाता हे। साराराम के समीप पर्वत पर स्थित चांद-तान-पीर पर अशोक अभिलेख मौजूद है। ऐतिहासिक दृष्टि से यह काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
अकबरपुर
 रोहतास के किले से पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित कैमूर पर्वत में यह जगह स्थित है। कहा जाता है कि इस जगह का नाम मुगल शासक अकबर के नाम पर रखा गया है। यह जगह रोहतास जिला मुख्यालय के काफी समीप स्थित है। इस जगह पर शासक शाहजहां के समय के मलिक विसहाल खान का मकबरा है। मलिक विसहाल खान रोहतास गढ़ के दारोगा थे।
याकशिनी भगवती
यहां पर देवी दुर्गा का प्रसिद्ध मंदिर है। इन्हें याकशिनी भगवती के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर भगवान शिराक भानखंडी महादेवन का प्राचीन मंदिर भी है। यह मंदिर दिनार खण्ड के पूर्व से सात किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। काफी संख्या में श्रद्धालु देवी मां से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मंदिर में आते हैं।
 शेरगढ़
चैनारी के दक्षिण से 13 किलोमीटर की दूरी पर शेरगढ़ स्थित है। शेर शाह के शासन के दौरान यह सैनिक छावनी था। यहां पर एक किला है जो वर्तमान समय में पूरी तरह से विध्वंस हो चुका है।
कैसे पहुंचे रोहतास

  वायु मार्ग
 सबसे निकटतम हवाई अड्डा पटना स्थित जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। राजधानी पटना से रोहतास 147 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके अतिरिक्त गया अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा द्वारा भी रोहतास पहुंच सकते हैं। गया से रोहतास लगभग 125 किलोमीटर की दूरी पर है।
रेल मार्ग
 यहां आप रेलमार्ग से भी आ सकते हैं। रोहतास रेलमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से पहुंचा जा सकता है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन सासाराम स्थित है।
 सड़क मार्ग 
 भारत के कई प्रमुख शहरों से रोहतास सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।

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