Wednesday 16 January 2013

हरियाणा यात्रा : वैभवशाली आकर्षक रेवाड़ी

हरियाणा के रेवाड़ी का अतीत बड़ा वैभवशाली रहा है। यह प्राचीन शहर अपने आंचल में स्वर्णिम अतीत समेटे हुए है। यह नगर प्राचीनकाल में न केवल राजनैतिक बल्कि कला, साहित्य, सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक गतिविधियों का भी केंद्र रहा है। यहां पर हेमू की हवेली, राव तुलाराम का महल, रानी की ड्योढ़ी, तेज सरोवर, हनुमान मंदिर एवं घंटेश्वर मंदिर आदि रेवाड़ी की प्राचीन भव्यता एवं स्वर्णिम इतिहास के साक्षी हैं। यह दिल्ली से मात्र 80 किमी. की दूरी पर स्थित है। महाभारत के अनुसार यह माना जाता है कि पहले यहां पर रेवात नामक राजा का राज था। उसकी पुत्री का नाम रेवती था। वह उसे प्यार से रेवा पुकारता था। उसी के नाम पर उसने इसका नरम रेवा वाड़ी रखा था। बाद में इसका नाम रेवा वाड़ी से बदलकर रेवाड़ी हो गया।
आधुनिक रेवाड़ी की स्थापना 1 नवम्बर 1989 ई. में की गई। इसके उत्तर में रोहतक, पश्चिम में महेन्द्रगढ़, पूर्व में गुडग़ांव और दक्षिण-पूर्व में राजस्थान का अल्वर स्थित है। हाल के दिनों में रेवाड़ी का जबरदस्त विकास हुआ है। विशेष तौर पर इसके धारूहेड़ा क्षेत्र में कई बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की स्थापना की गई हैं। इन कम्पनियों में इण्डो निशीयन फूड्स लिमिटेड, सोनी इण्डिया लिमिटेड, अशाही इण्डिया और दुपहिया वाहन बनाने वाली विश्व की सबसे बड़ी कम्पनी हीरो होंडा प्रमुख हैं। रेवाड़ी में क्या देखें लाल मस्जिद
रेवाड़ी का लाल मस्जिद पर्यटकों को अपने ओर आकर्षित करता है। यह  मस्जिद रेवाड़ी की अदालत के पास स्थित है। यह मस्जिद बहुत खूबसूरत है और इसे देखने के लिए पर्यटक दूर-दूर से यहां आते हैं। इसका निर्माण अकबर के शासनकाल में 1570 ई. में किया गया था। मस्जिद के पास दो खूबसूरत दर्शनीय स्थल भी हैं। पर्यटक चाहें तो इनकी सैर के लिए जा सकते हैं।
बाग वाला तालाब
यह तालाब पुरानी तहसील के पास स्थित है। इसका निर्माण राव गुर्जर के पुत्र राम अहीर ने कराया था। लेकिन अब यह तालाब सूख चुका है।
बड़ा तालाब
बड़ा तालाब को राव तेज सिंह तालाब के नाम से भी जाना जाता है। यह रेवाड़ी के टाउन हॉल के पास स्थित है। इसका निर्माण राव तेज सिंह ने 1810-1815 ईण्. में कराया था। तालाब में पानी की आपूर्ति वर्षा के पानी और भूमिगत जलधाराओं द्वारा होती है। यहां महिलाओं और पुरूषों के स्नान करने के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गई है। तालाब के पास हनुमान मन्दिर स्थित है। पर्यटकों और श्रद्धालुओं में यह मन्दिर बहुत लोकप्रिय है।
हनुमान मंदिर की प्राचीन मंदिर
अठारहवीं सदी में बने विशाल तालाब तेज सरोवर पर बाबा हनुमान का प्राचीन मंदिर स्थित है। देखने में तो यह मंदिर केवल डेढ़ सौ वर्ग गज भूमि पर बना है लेकिन वीर हनुमान की अपार कृपा के कारण यहां मंदिर परिसर में रोजाना भक्तजनों का जमावड़ा लगा रहता है। मंदिर की प्राचीनता तेज सरोवर के समान है। मंदिर के प्रति लोगों की श्रद्धा, आस्था और विश्वास की त्रिवेणी की बात करें तो यहां न केवल आस-पास के श्रद्धालु ही पूजा-अर्चना करने और मुराद मांगने आते हैं बल्कि दूसरे राज्यों से भी लोग मंदिर में हनुमान के दर्शनार्थ आते हैं।
माना जाता है कि पवनपुत्र हनुमान का भक्त राजस्थान से दिल्ली हनुमान की मूर्ति बैलगाड़ी में रखकर ले जा रहा था। वह भक्त रेवाड़ी के तेज सरोवर पर पहुंचा तो आराम करने के बाद जब वह जाने लगा तो बैलगाड़ी टस से मस भी नहीं हुई। उसने बैलों को खूब पीटा पर बैल हिले तक नहींए तब उस श्रद्धालु ने हनुमान की मर्जी जानकर यहीं पर मूर्ति को स्थापित कर दिया। तब से लेकर आज तक रामभक्त हनुमान की यह मूर्ति आस्था का केंद्र बनी हुई है। श्रद्धा, आस्था और विश्वास की त्रिवेणी के निरंतर बहने के कारण ही बड़ के नीचे स्थापित मूर्ति के स्थान पर आज एक सुंदर मंदिर विराजमान है। मूर्ति स्थापना से लेकर आज तक इस मंदिर की रेख-देख महंत परिवार करता आ रहा है। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि इस मंदिर में हनुमान की दो मूर्तियां हैं। यदि छोटी वाली मूर्ति के अंगूठे पर किसी भक्त द्वारा चढ़ाया गया गोला-कुंजा ठहर गया तो समझो उसकी नैया बजरंगी अवश्य पार लगाते हैं। इसके अलावा सिंदूर भी चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि बूंदी का प्रसाद और गोले-कुंजे आदि को भक्तिभाव से ओत-प्रोत होकर हनुमान की मूर्ति पर चढ़ाकर जो मन्नत मांगता है तो बाबा उसे खाली हाथ नहीं जाने देते। इसलिए हर मंगलवार बड़े तालाब पर स्थित हनुमान मंदिर में दूर-दूर से भक्तजन आकर प्रसाद ओर ध्वजा चढ़ाते हैं। इस प्राचीन मंदिर में हरियाणा के अलावा दिल्ली, पंजाब, उत्तरप्रदेश, राजस्थान और आंध्रप्रदेश के साथ-साथ दुबई, जापान और अमेरिका से भी भक्तजन मन्नत मांगने आते हैं। मंदिर में मंगलवार को भजन-कीर्तन और भंडारा होता है जबकि हर रविवार को रामायण पाठ होता है। सबसे मनोहारी दृश्य तो हनुमान जयंती के अवसर पर होता है। बाबा की सुंदर झांकी निकाली जाती है।
घंटेश्वर मन्दिर
यह रेवाड़ी का सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर शहर के बीचोंबीच स्थित है। पर्यटक इस मन्दिर में सनातन धर्म के देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के दर्शन सकते हैं। यह तीन मंजिला इमारत है और बहुत खूबसूरत है। श्रद्धालु प्रतिदिन इस मन्दिर में पूजा करने आते हैं।
कैसे जाएं
वायु मार्ग
 हवाई जहाज द्वारा भी पर्यटक आसानी से रेवाड़ी तक पहुंच सकते हैं। दिल्ली का इंदिरा गांधी अन्र्तराष्ट्रीय हवाई अड्डा रेवाड़ी से मात्र 80 किमी. की दूरी पर स्थित है।
रेल मार्ग
 रेवाड़ी पहुंचने के लिए रेलमार्ग भी काफी अच्छा विकल्प है। पर्यटकों की सुविधा के लिए यहां पर रेलवे स्टेशन का निर्माण किया गया है।
सड़क मार्ग
 दिल्ली.जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग 8 द्वारा पर्यटक आसानी से रेवाड़ी तक पहुंच सकते हैं।

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