Saturday 2 February 2013

मनमोहक तटों से गुंटूर केा नवाजा

प्रकृति ने अपनी खूबसूरती ऊचें पहाड़ों, हरीभरी घाटियों, कलकल बहती नदियों और मनमोहक तटों से गुंटूर केा नवाजा है। यहां की छटा देखते ही बनती है। गुंटूर अपने धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों तथा चटपटे अचार के लिए दुनिया को अपने ओर आकर्षित करता है। गुंटूर आंध्र प्रदेश प्रान्त का एक शहर है। आंध्र प्रदेश के उत्तर पूर्वी भाग में कृष्णा नदी डेल्टा में स्थित है गुंटूर। विजयवाड़ा-चेन्नई ट्रंक रोड पर स्थित गुंटूर की स्थापना फ्रांसिसी शासकों ने आठवीं शताब्दी के मध्य में की थी। करीब 10 शताब्दियों तक उन्होंने गुंटूर में राज किया। बाद में 1788 में इसे ब्रिटिश साग्राज्य में मिला दिया गया। गुंटूर बौद्ध धर्म का भी प्रमुख केंद्र रहा है। मुख्य आकर्षण भवनारायण स्वामी मंदिर
गुंटूर से 49 किमी. दूर बपाट्ला का भवनारायण स्वामी मंदिर भगवान भवनारायण को समर्पित है। समय बीतने के साथ अब इन्हें बापट्ला के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर गुंटूर जिले का सबसे प्राचीन और सबसे प्रमुख मंदिर है। इतिहास और शिल्प की दृष्टि से मंदिर का बहुत महत्व है। अमरावती अमरावती गुंटूर से 35 किमी. दूर उत्तर-पश्चिम में कृष्णा नदी के किनारे स्थित है। यहां पूरे वर्ष श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है इसलिए यहां पर्यटकों के लिए सुविधाओं की अच्छी व्यवस्था है। यहां भगवान शिव के प्रमुख मंदिरों में से एक अमरेश्वर है जहां शिवरात्रि के अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ होती है। अमरावती में विश्वप्रसिद्ध बौद्ध स्तूप भी है जहां भगवान बुद्ध के जीवन से संबंधित चित्रों को देखा जा सकता है। कोटप्पा कोंडाकोटप्पा कोंडा नरसराओपेट से 13 किमी. दक्षिण पश्चिम में स्थित है। यहां मुख्य रूप से ऋत्रिकोटेश्वर स्वामी की पूजा की आती है जिनका मंदिर पहाड़ की चोटी पर स्थित है। अब राज्य सरकार इस स्थान को पर्यटन और धार्मिक केंद्र के रूप में विकसित करने का प्रयास कर रही है। इसके लिए यहां पर्यटन सुविधाएं बढ़ाए जाने की व्यवस्था की जा रही है। मंगलागिरी
मंगलागिरी विजयवाड़ा-चेन्नई ट्रंक रोड पर स्थित है। प्रागैतिहासिक काल से ही यह स्थान बहुत प्रसिद्ध रहा है। मंगलागिरी पर्वत पर भगवान लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी का मंदिर है इसलिए इसे बहुत ही पवित्र पर्वत माना जाता है। माना जाता है कि जो जल भक्त प्रभु को चढ़ाते हैं उनमें से आधा भगवान पी लेते हैं और बाकी आधा भक्त प्रसाद के रूप में ले जाते हैं। लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी को पनकला नरसिम्हा स्वामी या पनकला स्वामी भी कहा जाता है। नल्लापडु गुंटूर से 5 किमी. दूर नल्लापडु या नसिंहपुरम का नाम यहां पहाड़ी पर स्थित नरसिंहस्वामी मंदिर के कारण पड़ा है। इस मंदिर के अलावा भी यहां कई प्राचीन मंदिर भी हैं। यहां के अगस्लेश्वरस्वामी मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह कई शताब्दी पुराना है। इस मंदिर में सुसज्जित ध्वजस्तंभम, पांच नागों की उकेरी गई प्रतिमाएं, शिव जी और ब्रह्मरंब, उनकी पत्नी की प्रतिमाएं तथा शंकराचार्य मंदिर दर्शनीय हैं। पोंडुगला गुटूर से 11 किमी. दूर पोंडुगला में बहुत सारे मंदिर हैं। इनमें सबसे प्रमुख मंदिर है गंटाला रामलिंगेश्वरा स्वामी मंदिर। इस मंदिर के स्तंभों में पाली में लिखे शिलालेखों को देखा जा सकता है। पास ही दंडीवगु नदी के किनारे स्थित अयेगरीपालम गांव में भी एक मंदिर है जहां संस्कृत में लिखे दो शिलालेख मिले हैं। इसे संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है। आसपास दर्शनीय स्थल नागार्जुनसागर बांध नागार्जुनसागर बांध निरूसंदेह भारत की शान है। यह पत्थर से बना दुनिया का सबसे ऊंचा बांध है। इस बांध का पानी नालगोंडा, प्रकासम, खम्मम और गुंटूर जैसे आंध्र प्रदेश के अनेक जिलों में सिंचाई के काम आता है। नागार्जुनसागर श्रीसैलम अभ्यारण्य 3568 गर्व किमी. क्षेत्र में फैला यह अभ्यारण्य भारत में सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व माना जाता है। इसके अलावा यहां फूलों व वनस्पतियों की अनेक प्रजातियां भी पाई जाती हैं। अभ्यराण्य के साथ ही नागार्जुनसागर बांध है। यहां की गहरी घाटियों की सुंदरता देखते ही बनती है। आवागमन वायु मार्ग नजदीकी हवाई अड्डा गन्नवरम है। रेल मार्ग नजदीकी रेलवे स्टेशन गुंटूर और विजयवाड़ा हैं जो सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। सड़क मार्ग बस सेवाएं गुंटूर को जिले के अंदर व बाहर के प्रमुख स्थानों से जोड़ती हैं जिनमें राज्य मुख्यालय भी शामिल हैं।

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